उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने गुणवत्ता से समझौता किए बिना मध्यम वर्गों को किफायती, सुरक्षित और टिकाऊ आवास उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर बल दिया।
उपराष्ट्रपति ने केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीबीआरआई) के प्लेटिनम जुबली स्थापना दिवस का विर्चुअल उद्घाटन करते हुए कहा कि भवनों का सौंदर्य सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि तेजी से आर्थिक विकास और बढ़ते शहरीकरण ने शहरों में आवास की बड़ी मांग को जन्म दिया है, जिससे योजनाकारों के लिए यह एक कठिन काम है।
सौंदर्यशास्त्र के महत्व पर जोर देते हुए, उन्होंने कहा – “जब कोई परिवार एक तंग इलाके में रहता है, जहां घरों में हवा या धूप मुश्किल से पहुंचती है, तो यह स्वाभाविक रूप से उनकी भलाई को प्रभावित करता है।” COVID ने हमें वायु परिसंचरण की आवश्यकता और सूर्य के प्रकाश के महत्व को दिखाया है, और यह वास्तुविदों, योजनाकारों, सरकारों और सीबीआरआई जैसे संस्थानों का कर्तव्य है कि इन तत्वों को निर्मित संरचनाओं में सुनिश्चित करें। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि प्राधिकरण भवन योजना अनुमोदन के लिए पर्याप्त प्रकाश और वायु परिसंचरण को एक मानदंड बनाने की व्यवहार्यता पर गौर करें।
उपराष्ट्रपति ने महसूस किया है कि एक ‘घर’ की भावनात्मक अपील नहीं बदली है, भले ही हम साधारण मिट्टी की दीवार वाली झोपड़ियों से परिष्कृत गगनचुंबी इमारतों की ओर बढ़े। उन्होंने कहा कि हमारी आर्थिक वृद्धि, प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाएं और रेरा जैसे प्रगतिशील कानून जो घर खरीदारों की रक्षा करते हैं, उनके लिए घर खरीदने का सपना अब कुछ ही लोगों का नहीं है।
श्री नायडु ने अक्षरश: ‘सभी के लिए आवास’ की जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए पूर्वनिर्मित भवनों, फैक्टरी में बने आवास और प्रीकास्ट स्टोन ब्लॉक जैसी नवीनतम तकनीकी प्रगति को अपनाने का आह्वान किया। इस तथ्य की ओर इशारा करते हुए कि वर्तमान प्रथाएं अभी भी काफी हद तक श्रम और सामग्री बहुत अधिक लगती हैं, उन्होंने कहा कि इससे अक्सर समय और लागत बढ़ जाती है। श्री नायडू ने कहा कि सीबीआरआई जैसे संस्थानों को 3-डी प्रिंटेड हाउसिंग और जीरो एनर्जी बिल्डिंग जैसी नवीनतम तकनीकी प्रगति का नेतृत्व करना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि इस क्षेत्र में रोजगार की विशाल संभावनाओं को देखते हुए हमारे निर्माण कार्यबल को आधुनिक निर्माण तकनीकों में अच्छी तरह से प्रशिक्षित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि “इस क्षेत्र में अकुशल जनशक्ति को कुशल जनशक्ति बनना चाहिए” ।
उपराष्ट्रपति ने संरचनाओं में स्थिरता का मुद्दा भी उठाया। हरित भवनों की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि दुनिया में ऊर्जा से संबंधित CO2 उत्सर्जन का 39% भवनों से आ रहा है, जो ग्रीनहाउस गैसों में एक प्रमुख योगदानकर्ता है। उन्होंने लोगों में इस अवधारणा के बारे में जागरूकता पैदा कर हरित भवनों को ‘नया सामान्य‘ बनाने का आह्वान किया।
श्री नायडू ने ‘हरित सामग्री‘ के उपयोग के महत्व पर भी प्रकाश डाला। यह इंगित करते हुए कि ईंट, लकड़ी, सीमेंट, स्टील और रेत जैसी पारंपरिक निर्माण सामग्री का उत्पादन ऊर्जा-गहन है, उपराष्ट्रपति ने स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्री या ‘ग्रीन सामग्री’ के उपयोग को बढ़ाकर प्रकृति के अनुकूल घरों को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “रिड्यूस, रीयूज और रीसाइकिल’ सिविल इंजीनियरों का मंत्र होना चाहिए और उन्हें बिजली संयंत्रों से फ्लाई ऐश जैसे अन्य उद्योगों के उप-उत्पादों का उपयोग करना चाहिए”।
श्री नायडू ने ग्रामीण क्षेत्रों में आवास की भारी कमी को दूर करने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने 2022 तक सभी को पक्का घर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इस उद्देश्य के लिए महत्वाकांक्षी पीएमएवाई (ग्रामीण) शुरू की है। उन्होंने श्री एपीजे अब्दुल कलाम और श्री अटल बिहारी वाजपेयी के दृष्टिकोण को दोहराया, ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाएं प्रदान करने का आह्वान किया था। उपराष्ट्रपति ने सलाह दी, “अगर हम रोजगार के अवसरों के साथ इन्हें प्रदान कर सकते हैं तो हम ग्रामीण-शहरी प्रवास को रोक सकते हैं और शहरों पर दबाव कम कर सकते हैं।”
यह देखते हुए कि देश कई खतरों और आपदाओं से ग्रस्त है, श्री नायडू ने सभी भवनों में नए मानदंड के रूप में आपदा-लचीला डिजाइनों और निर्माण पद्धतियों को अपनाने के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने फायर इंजीनियरिंग सहित भवनों में आपदा न्यूनीकरण में सुधार और हिमाचल प्रदेश में रिकॉर्ड समय में पांच कोविड अस्पतालों के निर्माण में सीबीआरआई की भूमिका की सराहना की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि संस्थान भारत में ‘आवास क्रांति‘ में सबसे आगे रहेगा और ‘सभी के लिए आवास‘ के साझा सपने के लिए काम करेगा।
उपराष्ट्रपति ने नालागढ़ और टांडा, हिमाचल प्रदेश में अस्थायी अस्पतालों, प्लेटिनम जुबली श्यूडो गतिशील प्रयोगशाला और सीएसआईआर-सीबीआरआई में सांस्कृतिक विरासत में उत्कृष्टता केंद्र का भी उद्घाटन किया।
श्री जय राम ठाकुर, हिमाचल प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री, डॉ शेखर सी मांडे, महानिदेशक, सीएसआईआर और सचिव, डीएसआईआर, डॉ. एन. गोपालकृष्णन, निदेशक, सीएसआईआर-सीबीआरआई, रुड़की वर्चुअल कार्यक्रम के दौरान उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में से थे।